GETTING MY MAHAVIDYA TARA TO WORK

Getting My mahavidya tara To Work

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ॐ त्रीं ह्रीं हूम् नमः तारायै महातारायै सकलदुस्तरान तारय तारय तर तर स्वाहा

विनियोगाय नम: सर्वांगे (पुरे शरीर को स्पर्श करें)

मनुष्य का मूल स्वभाव है शिशुवत् रहना। प्यार से कोई उसको बेटा कह देता है तो कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों न हो, मन एक बार पुलकित हो जाता है। इसके पीछे छुपी होती है व्यक्ति के अंदर वात्सली और प्रेम को पा लेने की इच्छा और उसमें अपने आपको सुरक्षित कर लेने की भावना, मां के ममतामयी आँचल के तले शिशु अपने आपको निश्चिन्त महसूस करता है। उसको कोई कर्तव्य बोध तो होता नहीं है, तरह-तरह की शैतानियां करके भी वह मां की गोद में दुबक कर एकदम से निश्चिन्त हो जाता है क्योंकि वह जानता है कि रक्षक के रूप में मां उसके साथ खड़ी हैं। साधक के अन्दर भी एक शिशु छुपा होता है, जिससे वह विराट शक्ति को here मातृ स्वरूप में देखता है और वह शक्ति मातृ स्वरूप जगदम्बा का स्वरूप ही होता है।

ॐ गुरुभ्यो छिन्नमस्त वायव्ये मां पातु।

अपने समक्ष प्राण प्रतिष्ठित तारा महाविद्या यन्त्र को स्थापित कर लें

ॐ कारो मे शिर: पातु ब्रह्मारूपा महेश्वरी ।

ह्रीं कीलकाय नम: नाभौ (नाभि को स्पर्श करें)

ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् (दोनों नेत्रों को स्पर्श करें)

ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् (दोनों नेत्रों को स्पर्श करें)

तस्माद् धर्मं न त्यजामि मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ⁠।⁠।⁠

नीरक्षीरविवेके हंस आलस्यम् त्वम् एव तनुषे चेत्।

Everyone seems to be impressed to carry out the utmost range of Japa of maa Tara panchakshari mantra “Om hring sthring hum phat ” meditating on Tara maa.

ॐ त्रिपुरी भैरवे नम: भैरवीं स्थापयामि नम:

You just title it therefore you shall have it. Giving spot to a Mahavidya in your daily life indicates opening new avenues to prosperity and totality, and what greater time can there be to propitiate the Goddesses than the beginning of a brand new 12 months.

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